Sunday 29 April 2018

saharsa rail

सहरसा कोशी का मुख्यालय है ,कोशी का बिकराल रूप सहरसा से होकर बहती है ,कोशी नदी नेपाल से बहते हुए सुपौल सहरसा होते हुए कटिहार के पास गंगा नदी में मिल जाती है ,सहरसा देव भूमि है ,भारत का प्राचीन सूर्य मंदिर यही है तो साथ ही साथ शंकराचार्य ने महिषी में एक कन्या से शास्त्र में हार गए थे , महिषी में ही तारा अस्थान है वो पवित्र मंदिर जहा देवी सती  की दाई आँख गिरी थी, रेल के मामले में काफी पिछड़ा है ये शहर ,पास में नेपाल है पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने के लिए सहरसा मानसी रेल खंड उपयुक्त है ,2005  में बड़ी लाइन बनने के बाद भी ट्रेनों में इज्जाफा नहीं हुआ,आज भी लोग ट्रेनों में भैर बकरिओ की तरह लद्ध कर यात्रा करते हैँ , सहरसा जं से बड़ी मात्रा में लोग पंजाब या दिल्ली पलायन करते है ,आस पास के जिलों में रेल न होने के कारन बस की यात्रा कर सहरसा एक दिन पहले आना पड़ता है ,फिर अगले दिन ट्रैन मिलती है ,आस पास के जिलों को रेल से जोड़ने का प्रयास पिछले 10 सालो से चल रहा है लेकिन रेलवे की सुस्त चाल और आश्वासन देखकर लगता है अगले चुनावो से पहले रेल चले सहरसा में 3  प्लेटफार्म है बाकि 2 का निर्माण पिछले ढेड़ साल से हो रहा है कब पूरा होगा ये तो कोई नहीं जनता ,दिल्ली के लिए सहरसा से गरीब रथ ,हमसफ़र जैसी ट्रैन चलती है पर यात्री अधिक होने के कारन इन ट्रेनों में सीट मिलना मुश्किल हो जाता है ,आस पास के 3 से 4 जिला के लोग सहरसा आकर ही ट्रैन पकड़ते है ,

सहरसा एयरपोर्ट पर बिमान सेवा में मुश्किल बहुत है।

सहरसा एयरपोर्ट पर विमान सेवा की चर्चा जोरों पर है, पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे एक बेहतर एयरपोर्ट और बड़े विमानों के परिचालन के बिना हवाई सेवा...