सहरसा एयरपोर्ट पर विमान सेवा की चर्चा जोरों पर है, पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे एक बेहतर एयरपोर्ट और बड़े विमानों के परिचालन के बिना हवाई सेवा की बात बेमानी है।
सहरसा की चर्चा के संदर्भ मे बात करने से पहले भागलपुर एयरपोर्ट संबंधित अहम पहलूओं का उल्लेख करना जरूरी होगा।
दरभंगा, भागलपुर, मूगेंर सहित कई एयरपोर्ट उडान के तहत शामिल थे। भागलपुर एयरपोर्ट रनवे के चारों तरफ घनी आबादी बसने के बाद, वहाँ का रनवे और एयरपोर्ट विस्तार लगभग असंभव हो चुका है। जिसका परिणाम भागलपुर को एयरपोर्ट की रेस से बाहर के चुकाना पड़ा।
सहरसा की स्थिति फिलहाल ऐसी है की राज्य और केंद्र के थोड़े से गंभीर पहल से एक बेहतर हवाई अड्डे को कोसी के लिए खड़ा किया जा सकता हैं। फिलहाल मौजूदा स्थिति मे बेहतर तरीकों से हवाई सेवा के लिए जनप्रतिनिधियों की पहल की भी आवश्यकता, अन्यथा शहर के विकास और विस्तार के साथ वो दिन दूर नहीं जब एयरपोर्ट के मामले में सहरसा भागलपुर जैसे हालातों से दो चार हो।
सहरसा की चर्चा के संदर्भ मे बात करने से पहले भागलपुर एयरपोर्ट संबंधित अहम पहलूओं का उल्लेख करना जरूरी होगा।
दरभंगा, भागलपुर, मूगेंर सहित कई एयरपोर्ट उडान के तहत शामिल थे। भागलपुर एयरपोर्ट रनवे के चारों तरफ घनी आबादी बसने के बाद, वहाँ का रनवे और एयरपोर्ट विस्तार लगभग असंभव हो चुका है। जिसका परिणाम भागलपुर को एयरपोर्ट की रेस से बाहर के चुकाना पड़ा।
सहरसा की स्थिति फिलहाल ऐसी है की राज्य और केंद्र के थोड़े से गंभीर पहल से एक बेहतर हवाई अड्डे को कोसी के लिए खड़ा किया जा सकता हैं। फिलहाल मौजूदा स्थिति मे बेहतर तरीकों से हवाई सेवा के लिए जनप्रतिनिधियों की पहल की भी आवश्यकता, अन्यथा शहर के विकास और विस्तार के साथ वो दिन दूर नहीं जब एयरपोर्ट के मामले में सहरसा भागलपुर जैसे हालातों से दो चार हो।
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