संसद रंजीत रंजन ने 8 मई को सुपौल जं का जायजा लिया। रेल कार्यों को देखकर असंतोष ब्यक्त किया। राशि उपलब्ध होने के बाद भी काम में तेजी नहीं आ रही। सहरसा से सुपौल के बीच 5 छोटे बड़े पुल है जिनके निर्माण में कम से कम 6 से 8 महीने का वक्त लग सकता है। बालू और मिट्टी की कमी ने रेल के कार्यों में बाधा पहुंचाई है। एक तरफ जहां बालू की कमी से निर्माण रुका हुआ है वहीं दूसरी तरफ मिट्टी की कमी ने ट्रैक का काम रोक दिया दिया। कोशी रेल महासेतु के भी इस बर्ष चालू होने की उम्मीद कम है पुल संख्या 7 का अप्रोच पथ छतिग्रस्त होने से इसके मरम्मत के काम में देरी लगेगी । 25 दिसंबर 2016 को ही सहरसा से बरुआरि तक आमान परिवर्तन लिया गया था। सिग्नल का काम अधूरा रहने से लाइन चालू नहीं हो सका ।केबल की कमी मुख्य कारण बताया गया है जिसे जल्द दूर करने की कोशिश की जा रही है। संसद ने भटिपाई स्टेशन का दौरा किया तथा ग्रामीणों से बात की ,लोगो ने ओवरब्रिज बनाने की बात कही। संसद ने कहा कि दिल्ली जाने के बाद रेलमंत्री से मुलाकात करेंगी। राशि मिलने के बाद भी काम में तेजी ना आ पाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
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